नमस्कार दोस्तों! आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि भारत में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है (Rashtrapati ka chunav kaise hota hai)। अगर आप भी यह समझना चाहते हैं कि हमारे देश के सर्वोच्च पद, यानी राष्ट्रपति का चयन कैसे होता है तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं। इस आर्टिकल में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि राष्ट्रपति बनने के लिए किन प्रक्रियाओं और नियमों का पालन किया जाता है।
राष्ट्रपति का चुनाव: इलेक्शन और चुनाव का मतलब
इलेक्शन का नाम आपने कई बार सुना होगा, तो अब यह जानने की जरूरत है कि इलेक्शन और चुनाव में कोई अंतर है या नहीं। असल में, इलेक्शन एक अंग्रेजी शब्द है, जबकि चुनाव इसका हिंदी अनुवाद है। दोनों का मतलब एक ही होता है – किसी पद के लिए उम्मीदवारों के बीच मतदान द्वारा चयन करना। राष्ट्रपति का चुनाव भी इसी प्रक्रिया से होता है।
राष्ट्रपति का चयन कौन करता है?
राष्ट्रपति का चुनाव आम जनता द्वारा नहीं होता, बल्कि यह एक विशेष प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है। राष्ट्रपति का चयन “निर्वाचन मंडल” (Electoral College) करता है, जिसमें सांसद (Members of Parliament – MP) और राज्यों की विधानसभाओं के सदस्य (MLA) शामिल होते हैं। ये सांसद और विधायक ही राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए मतदान करते हैं।
अब आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि हमारे वोट का क्या महत्व है? दरअसल, हम अपने सांसद और विधायक को वोट देते हैं, और वे ही राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान करते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि हमारे द्वारा चुने गए प्रतिनिधि, हमारे लिए राष्ट्रपति का चयन करते हैं।
राष्ट्रपति बनने के लिए आवश्यक योग्यता
राष्ट्रपति बनने के लिए कुछ विशेष योग्यताएँ होती हैं, जिन्हें पूरा करना आवश्यक है। ये योग्यताएँ हैं:
- उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए।
- उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए।
- उम्मीदवार लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए योग्य होना चाहिए।
- राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को 50 प्रस्तावक और 50 समर्थक चाहिए होते हैं, जो सांसद या विधायक हो सकते हैं।
राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
राष्ट्रपति का चुनाव एक विशेष प्रणाली द्वारा होता है, जिसे “अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली” (Proportional Representation) कहा जाता है। इस प्रणाली में सांसदों और विधायकों के वोटों का मूल्य अलग-अलग होता है। विधायक का वोट राज्य की जनसंख्या और विधानसभा की सीटों के आधार पर तय होता है, जबकि सांसद के वोट का मूल्य पूरे देश में समान होता है।
उदाहरण के लिए, अगर उत्तर प्रदेश के किसी विधायक का वोट मूल्य 208 है, तो दिल्ली के विधायक का वोट मूल्य 58 हो सकता है। सांसदों के वोट का मूल्य वर्तमान में 700 के आस-पास होता है।
राष्ट्रपति चुनाव में जीतने के लिए क्या होना चाहिए?
राष्ट्रपति चुनाव में जीतने के लिए उम्मीदवार को कुल वैध वोटों का 50% से अधिक प्राप्त करना होता है। इसे “प्रथम वरीयता” (First Preference Votes) कहा जाता है। अगर कोई उम्मीदवार पहले ही राउंड में यह बहुमत प्राप्त कर लेता है, तो वह राष्ट्रपति चुन लिया जाता है। अगर नहीं, तो दूसरे राउंड की गिनती होती है, जिसमें द्वितीय वरीयता वोट देखे जाते हैं।
राष्ट्रपति का कार्यकाल और वेतन
भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है। हालांकि, कार्यकाल पूरा होने के बाद वे फिर से चुनाव लड़ सकते हैं। राष्ट्रपति को वेतन और अन्य सुविधाएं दी जाती हैं। वर्तमान में राष्ट्रपति को 5 लाख रुपये प्रति महीने वेतन मिलता है, इसके अलावा उन्हें एक शानदार सरकारी आवास, गाड़ियों का काफिला, सुरक्षा, और कई अन्य विशेषाधिकार मिलते हैं।
निष्कर्ष – राष्ट्रपति का काम और ज़िम्मेदारियाँ
राष्ट्रपति का पद भारतीय संविधान के अनुसार सर्वोच्च होता है, और उनके पास कई महत्वपूर्ण अधिकार होते हैं। राष्ट्रपति देश के संविधान का संरक्षक होता है और भारतीय सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति भी। राष्ट्रपति का काम संसद के विधेयकों पर हस्ताक्षर करना, प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल की सलाह पर कार्य करना, और देश की अंतरराष्ट्रीय छवि को मजबूत करना होता है।
तो दोस्तों, आशा है कि आपको अब पूरी जानकारी मिल गई होगी कि राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है (Rashtrapati ka chunav kaise hota hai) और इस प्रक्रिया में किन-किन बातों का ध्यान रखा जाता है। अगर यह जानकारी आपको उपयोगी लगी, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ ज़रूर शेयर करें। धन्यवाद!