Global warming in Hindi (ग्लोबल वार्मिंग): नमस्कार दोस्तों! क्या आपको पता है ग्लोबल वार्मिंग क्या होता है आखिरकार ग्लोबल वार्मिंग इतने चर्चा में क्यों हैं। इससे संबंधित जुड़ी सारी जानकारी आपको इस आर्टिकल में मिल जाएगी इसलिए इसे पूरे ध्यान से अंत तक पढ़े…
सबसे पहले हम कुछ निम्नलिखित बातों पर चर्चा करना चाहेंगे ताकि आपको ग्लोबल वार्मिंग (Global warming in Hindi) की मूल कारण आपको पता चल सके:
- ग्लोबल वार्मिंग क्या है?
- ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने से क्या होगा?
- ग्लोबल वार्मिंग क्यों बढ़ रही है?
- ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम क्या है?
- ग्लोबल वार्मिंग से निपटने का उपाय क्या है?
- पृथ्वी दिनोंदिन ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में क्यों आ रहा है?
- ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारक कौन है?
- IPCC की Special Report on Global Warming of (स्पेशल रिपोर्ट ऑन ग्लोबल वार्मिंग ऑफ) 1.5 डिग्री सेल्सियस क्या है?
ग्लोबल वार्मिंग क्या है (Global Warming in Hindi)
सबसे पहले हमें तो यह समझना पड़ेगा आखिरकार ग्लोबल वार्मिंग क्या है शायद आपको पता हो अगर नहीं पता है तो आप इसे अवश्य पढ़ें आगे बढ़ते रहिए…
ग्लोबल वार्मिंग को समझने के लिए आपको सबसे पहले ग्रीन हाउस गैस और ग्रीन हाउस इफेक्ट को समझना पड़ेगा।
ग्रीन हाउस गैस हमारे वायुमंडल में मौजूद होते हैं और सूर्य प्रकाश के विकर्ण जब हमारे वायुमंडल में आती है तब लौटते वक्त यह गैसो उन्हें वायुमंडल से बाहर जाने देती है लेकिन उसके ऊष्मा Trap (जाल) कर लेती है।
कार्बन डाइऑक्साइड, CFC यानी क्लोरोफ्लोरोकार्बन, HFC सोनी हाइड्रोफ्लोरोकार्बंस जैसी गैस ग्रीन हाउस गैस के बहुत चर्चित उदाहरण है।
- आपको बता दें ठंडे प्रदेशों में पेड़ पौधे उगाने के लिए एक प्रकार शीशे के दीवार जैसी संरचना बनाई जाती है जिसे ग्लास हाउस या ग्रीन हाउस भी कहा जाता है।
- इसकी खूबी यह है कि इसमें जब सूर्य प्रकाश ग्लास हाउस में जाती है तब लंबी तरंग दैर्ध्य (Long Wavelength) वाले किरने अंदर रह जाती है और यही प्रकाश के किरणें एवं ऊष्मा पेड़ पौधों को उगाने में वहां मदद करती है । दरअसल हमारे पृथ्वी पर ग्रीन हाउस गैसों भी इसी तरह काम करती है।
- पृथ्वी के वायुमंडल में जो भी गैस सूर्य के प्रकाश को Trap कर लेती है उसे ग्रीनहाउस गैस कहते हैं और हमारे वैज्ञानिक को सन 1824 से ही पता है कि ग्रीन हाउस गैसों हमारे पृथ्वी के लिए क्या अहम भूमिका निभाती है । वैज्ञानिकों द्वारा ही यह बताया गया था कि अगर वायुमंडल हमारे पृथ्वी पर ना होती तो यह कितना ठंडा होता दरअसल ग्रीनहाउस जैसे ही हमारे पृथ्वी को ऊष्मा देती है देती है और यही कारण है कि पृथ्वी की जलवायु रहने योग्य है लेकिन आज की हकीकत कुछ और ही कहानी कहती है।
- आधुनिक विकास की अंधी दौड़ ने हमारे पृथ्वी का सारा संतुलन बिगाड़ रखा है कुछ वर्षों से यह देखा जा रहा है कि ग्रीन हाउस गैसों की प्रतिशत हमारे वायुमंडल में बढ़ती जा रही है जिसके कारण सूर्य प्रकाश की ऊष्मा की ट्रैपिंग (Trapping) जरूरत से ज्यादा होने लगी है और हालत यहां तक पहुंच चुकी है कि हमारे पृथ्वी में क्षोभमंडल (Troposphere) के आसपास वातावरण में पर्याप्त ऊष्मा से भी कहीं ज्यादा ऊष्मा का जमाव हो गया है।
- इसी स्थिति को Global warming कहते हैं या ग्लोबल वार्मिंग के नाम से जाना जाता है।
ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने से क्या होगा (Global Warming IPCC Report)
लिहाजा अब ग्लोबल वार्मिंग (Global warming in Hindi) अपने पैर पसारने लगी है और अगर इसे संतुलन में नहीं लाया गया तो को इसका खामियाजा पूरे विश्व को भुगतना पड़ेगा कार हाल ही में इन्हें सारी रिपोर्ट पर कोई चर्चा हुई है । क्या कहा गया है रिपोर्ट में…
- स्पेशल रिपोर्ट ऑन ग्लोबल वार्मिंग ऑफ 1.5 डिग्री सेल्सियस का कहना है औसत वैश्विक तापमान पूर्व औद्योगिक काल की तुलना में 1.5 डिग्री से ज्यादा नहीं बढ़ने चाहिए।
- इस रिपोर्ट का कहना है यदि वर्तमान औसत तापमान 30 डिग्री सेल्सियस है तो भविष्य में 31.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा औसत तापमान नहीं होना चाहिए।
- IPCC रिपोर्ट का कहना है कि अगर कार्बन उत्सर्जन की समान स्थिति बनी रही तो 2030 से 2052 के बीच इस वैश्विक औसत तापमान 1. 5 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाएगी।
- वैज्ञानिक का मानना है कि अगर वैश्विक औसत तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो गई तो वातावरण में बहुत ही भयंकर बदलाव आने वाला है।
2015 पेरिस जलवायु सम्मेलन में वैश्विक औसत तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक न बढ़े इसके लिए कई उपाय सोचें गए लेकिन ग्रीन हाउस गैसों काअनियंत्रित उत्सर्जन पर रोक लगाना सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।
ग्लोबल वार्मिंग क्यों बढ़ रही है (चिंताजनक विषय)
आइए अब बात करते हैं ग्लोबल वार्मिंग इतना चिंताजनक विषय कैसे बन गया? आखिर ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने का मुख्य कारण क्या हो सकता है?
- जैसे – जैसे हमने विकास की छलांग लगानी शुरू की, वैसे – वैसे प्रकृति के साथ खींचतान का दौर शुरू हुआ ।
- वन वृक्षों का कटाव होना शुरू हुआ, कल कारखानों से निकलने वाले जहरीले धुएं और रेफ्रिजरेटर, ए. सी. जैसे उपकरणों से निकलने वाले ग्रीन हाउस गैसों ने वातावरण को जरूरत से ज्यादा ही गर्म कर दिया ।
- वनों के लगातार उन्मूलन से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने की चिंताजनक स्थिति बनती गई ।
- वैश्विक तौर पर वनों के उन्मूलन को रोकने या फिर बड़ी मात्रा में वन लगाए जाने के मजबूत प्रमाण नहीं मिल पा रहा है जो कि ग्लोबल वार्मिंग भविष्य में बढ़ने की एक चिंताजनक स्थिति को दर्शाता है ।
- परिवहन क्षेत्र और विद्युत क्षेत्र भी हानिकारक गैसों के उत्सर्जन में सहायक बनती जा रही है ।
- मीथेन गैस एक ग्रीनहाउस गैस के रूप में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की तुलना में कहीं ज्यादा नुकसानदायक है ।
वैज्ञानिकों एवं शोध से यह पता चला है कि 2100 तक अगर किसी भी प्रकार का ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने के लिए कोई उपाय नहीं लिया गया तो इसका बहुत ही बुरा एवं भयंकर हमारे वातावरण एवं पूरे विश्व में असर पड़ने वाला है।
ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम (Global warming ke parinam)
आइए अब एक नजर डालते हैं आखिरकार ग्लोबल वार्मिंग के क्या परिणाम हो सकते हैं? अभी तक हमने जो भी चर्चा की उससे यह साबित होता है कि ग्लोबल वार्मिंग हद से कहीं आगे निकल चुका है ।
ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने से हमें कुछ उसके अनुकूल परिणाम देखने को मिल रहे हैं हमारे वातावरण में कई तरह के परिवर्तन आए हैं जैसे:
- जलवायु में परिवर्तन
- गर्मी का औसतन तापमान बढ़ना
- सूखे की बारंबारता में इजाफा
- बाढ़ आने की दर में बढ़ोतरी
- तटीय इलाकों के डूबने का खतरा
नेचर क्लाइमेट चेंज नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन ने कार्बन उत्सर्जन की घरेलू सामाजिक कीमत का अंदाजा लगाया है। कार्बन उत्सर्जन का सामाजिक स्तर पर कितना नुकसान हो सकता है इस कीमत से इस बात का पता लगता है। इस अध्ययन से पता चलता है:
- भारत को प्रति टन कार्बन उत्सर्जन पर लगभग $90 का नुकसान होता है जो कि दुनिया भर में सबसे ज्यादा है।
- फसल की उपज में गिरावट और जलवायु दशाओं में बड़ा परिवर्तन होने से 2050 तक गरीबी में लाखों की संख्या में बढ़ोतरी का संभावना है।
इसलिए यह रिपोर्ट बहुत ही बड़ी चेतावनी साबित हो रही है की ग्लोबल वार्मिंग को रोकने या उससे लड़ने के लिए हमें और पूरे विश्व को एकजुट होकर इसके लिए लड़ना होगा।
ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के उपाय (Global warming se nipatne ke upay)
आइए आप बात करते हैं आखिरकार ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के क्या-क्या उपाय हैं? क्या ग्लोबल वार्मिंग पर हम नियंत्रण पा सकते हैं?
- छोटे-छोटे देशों और कई अल्प विकसित देशों का इस बात को लेकर खासा जोर दे रहे हैं कि ग्रीन हाउस गैसों का ज्यादा उत्सर्जन ना हो और वैश्विक औसत तापमान में ज्यादा बढ़ोतरी न हो।
- वैज्ञानिक और शोधकर्ता ऐसे उपकरण के निर्माण में लगे हुए हैं जोकि हमारे वातावरण में मौजूद ज्यादा ग्रीन हाउस गैसों का जवाब कम कर सकता है।
- वृक्षारोपण का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना और ग्रीन हाउस गैसों वाले जैसे उपकरणों का प्रयोग में से कम लाना।
- इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र के अगुवाई में ग्रीन क्लाइमेट फंड का निर्माण भी किया गया है यह फंड क्लाइमेट चेंज से जूझ रहे देशों को धनराशि मुहैया कराता है।
- भारत ने भी अपने पर्यावरण के बचाव के लिए CAMPA फंड बनाया है इसका पूरा नाम कंपनसेटरी अफॉरेस्टेशन मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी फंड है।
जो कंपनियां, फैक्ट्री और इंडस्ट्रीज वन भूमि का उपयोग करती है वह इसके एवज में CAMPA फंड में पैसा जमा कराती है इस फंड का उपयोग अन्य जगहों पर पेड़ लगाने के लिए भारी मात्रा में किया जाता है।
निष्कर्ष: Global Warming in hindi
इन सराहनीय कदमों के बावजूद IPCC रिपोर्ट को देखने के बाद लगता है कि अभी और प्रयास की दरकार है तभी कुछ स्थिति निमंत्रित हो सकती है। कुल मिलाकर यह रिपोर्ट मानव समाज को यह बता रही है कि अब भी ना संभले तो शायद मानव विनाश के साथ इस पूरे जीव जगत के विनाश का जिम्मेदार खुद मानव ही होगा।
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यह हमें कताई ही ना भूलना चाहिए कि प्रकृति का संरक्षण ही हमारा जीवन का मूल आधार है हमारे वेदों, कुरान एवं कई जगह पर प्रकृति का महत्व सबसे सबसे सर्वोत्तम माना गया है।
आज भारत सहित पूरे विश्व को इस मुद्दे पर एकजुट होकर ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming in hindi) के मुद्दे पर बात करने और आपसी सहयोग की जरूरत है तभी हम ग्लोबल वार्मिंग के ताप से मुक्त हो पाएंगे नहीं तो यही ताप हमारे विनाश की कहानी लिखेगा।